मंच संचालन – कार्यक्रम का दिल हे….
बदलती दुनिया में इंसान को भी बदलना होगा। आजकल व्यक्तित्व विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यवसाय,
प्रौद्योगिकी या कोई सामाजिक कार्यक्रम या राजनीतिक सभायें आयोजित की जाती हैं। जिसमें मंच संचालक का महत्व केन्द्र स्थान पे होता हे
।वर्तमान समय में हम कई प्रकार के सेमिनार में जाते हे,जहां से हम कुछ न कुछ नई जानकारी प्राप्त करके वापिस आते हे।
हम जानते हे कि कोई कार्यक्रम से लोग बहोत हि प्रभावित होते हे,और किसी कार्यक्रम में लोग बहुत बोर हो जाते हे।तो यहा पर एक खास बात बताना जरूरी हे कि किसी भी कार्यक्रम की 80 प्रतिशत सफलता का आधार उसका एंकर (ancor) या मंच संचालक पर होता हे।
मंच संचालक का प्रभाव :
कभी-कभी जब हम किसी कार्यक्रम में शामिल होने से वापस आते हैं, तो हम ऐसी बातें सुनते हैं।
(1) कार्यक्रम अच्छा था, व्यवस्थाएँ अच्छी नहीं थीं।
(2) कलाकार का गीत अच्छा था, लेकिन स्वर अच्छे नहीं थे।
(3) उद्घोषक – मंच प्रबंधक बहुत फर्जी था, वह नहीं जानता था कि कैसे प्रबंधन करना है।
उपरोक्त कुछ उदाहरणों से हमે जानकारी मिलती हैं कि एक कार्यक्रम की सफलता एक अच्छे वक्ता पर निर्भर करती है।कार्यक्रम की सफलता कार्यक्रम चलाने वाले व्यक्ति पर निर्भर करती है।कभी-कभी यदि वक्ता कमजोर है, तो कार्यक्रम का मजा बिगड जाता था।कभी कभी कार्यक्रम ठीक होता हे लेकिन उद्घोषक अच्छा है तो कार्यक्रम प्रज्जवलित हो जाता है।आजकल स्कूल कॉलेजों और सार्वजनिक कार्यक्रमों में उद्घोषक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
किसी भी कार्यक्रम की सफलता या विफलता कार्यक्रम की गुणवत्ता, विशिष्टता, इसकी योजना और आयोजकों पर निर्भर करती है।लेकिन अगर सब कुछ अच्छा है, लेकिन कार्यक्रम का उद्घोषक अच्छा नहीं है, तो पूरा कार्यक्रम विफल हो जाता है।
हमारे यहां बहुत सारे ऐसे कार्यक्रम होते हैं जहां लोग कार्यक्रम को देखने या वक्ता को सुनने के लिए नहीं जाते हैं बल्कि उद्घोषक को सुनने के लिए जाते हैं।किसी भी कार्यक्रम को अच्छी तरह से प्रबंधित किया जाना चाहिए, यह मंच का संचालन करने वाले व्यक्ति पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।मंच प्रबंधक कार्यक्रम को रोचक बना सकता है, उनके पास विभिन्न जानकारी का ज्ञान होना चाहिए।कार्यक्रम किसी भी प्रकार का हो लेकिन मंच संचालक तो अपनी तैयारी के साथ ही हर तरह के रंगमें अच्छी तरह से ढलना चाहिये।
मंच संचालक की खुबीयां – (एनाउन्सिंग की कला)
(1) सुंदर आवाज होनी चाहिये…..
(3) चोटदार अभिव्यक्ति होनी चाहिये…..
(4) एक अजब आत्मविश्वास होना चाहिये……
(5) परीस्थिति के अनुसार उदघोषणा करने की खुबी…..
(6) कार्यक्रम के अनुरूप शेरो-शायरी……
(7) सामने बैठे श्रोता की अपेक्षा की पहचान…….
(8) उदघोषणा की समयमर्यादा का ख्याल रखना…..
(9) आकस्मिक परीस्थितियो में उदघोषणा पर निर्यण लेना…..
(10)संयम और मनोवैज्ञानिक अभिगम का समन्वय……
(11) अभिनय़ और श्रोताओ पे नजर…….
एक अच्छे एनाउन्सर के लिये उपर लिखी सभी बातो का ध्यान रखना जरूरी हे…